Saturday, June 18, 2022

पचमीना सिरप के उपयोग , पेट के लिए फायदे और गुण

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पचमीना सीरप पूर्णतया सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा हैं जो पेट और पाचन तंत्र सम्बन्धी विकारो को दूर कर पाचन क्रियान्वन  को ठीक करती हैं । पचमीना सिरप में पाचन क्रिया को सुदृढ़ करने वाले तत्त्व है जो पाचन एंजाइमों को बढ़ाते है 

" पचमीना सीरप के फायदे "


पचमीना सिरप पाचन क्रिया के लिए रामबाण दवा है , यह पाचन क्रिया में सुधार कर उसे बेहतर बनाती है, कब्ज में राहत देती है, अफारा, गैस, पेट फूलना, पेट दर्द, खट्टी डकार, आंत व लिवर की सूजन में आराम  देती है, भूख में सुधार कर भूख को बढ़ाती है,  अपच और पेट के भारीपन के भारीपन दूर करती हैं। 


" पचमीना सिरप को बनाने में उपयोग की जाने वाली औषधियाँ "


पचमीना सिरप में अजवाइन, सौंफ, चित्रक और दानामेथी मुख्य औषधियां है और अन्य औषधियां भी है जिनको हम विस्तार से जानेंगे। 


>> अजवाइन- अजवाइन पेट दर्द, गैस और कब्ज की समस्या को ठीक करती है।  इसके अलावा यह शर्दी जुकाम, अनिंद्रा और कमर दर्द में आराम देती है।  


>> सौंफ- सौंफ का मुख्य फायदा यह है की पेट की गैस और कब्ज को ठीक कर पाचन क्रिया को दुरुस्त करती है और पेट की गर्मी को दूर करती है ।  इसके अलावा यह ब्लड प्रेसर और अस्थमा में आराम  पहुँचाती है। 

 

>> चित्रक- चित्रक अपच की समस्या को दूर कर पाचन क्रिया को सुदृढ़  करती है।  इनके अलावा यह सर्दी खांसी  , ज्वर और सिर दर्द में आराम देती है। 

 

>> दानामेथी- दाना मेथी हमारे शरीर में ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और वजन को कंट्रोल करती है। यह पेट की मुख्य समस्या कब्ज को दूर करती है।  इसके आलावा इम्युनिटी बढ़ाती है, माताओं में दूध को बढ़ाती है। बालो की समस्याओ को दूर करती है।  


>> नागरमोथा- नागरमोथा पेट  रोगों में लाभदायक होता है, यह अपच की समस्या को ठीक करता है और पाचन तंत्र को ठीक करता है।  इसके अलावा यह खांसी बुखार में भी फायदेमंद होती है।  


>> हरीतकी- हरीतकी पेट की मुख्य समस्या कब्ज को दूर करने में मददगार होती है। इसके अलावा यह सर्दी खांसी में फायदेमंद है, और मधुमेह को  नियंत्रित करती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।      


>> काली मिर्च- काली मिर्च पेट के रोगो में फायदेमंद होती है, यह अपच और गैस की समस्या को करती है। यह भूख को बढ़ाती है और पेट के कीड़ो को नष्ट करती है।  


>> जीरा- जीरा मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके अलावा यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है।  और ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। 


>> लौंग- लौंग भूख को बढ़ती है, पाचन तंत्र में सुधार करती है और पेट के कीड़ों को खत्म करती है। इसके अलावा यह यौन क्षमता और इम्युनिटी को बढ़ाती है। 


>> रास बेरी- रास बेरी फाइबर से भरपूर होती है जो कब्ज  से निजात दिलाती है। अलावा यह हृदय को स्वस्थ रखती है, मधुमेह को कंट्रोल करती है, कैंसर रोधी है, आँखों की समस्या दूर करती है और याददास्त को बढ़ाती है। 


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Thursday, June 16, 2022

कही आप मिलावटी खाना तो नहीं खा रहे, कैसे बचे और स्वस्थ रहे

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आज हर किसी के जीवन में बीमारियां घर कर रही हैं, जिनका कारण यह हो सकता हैं कि आप किन चीजों का सेवन कर रहे हों । आप खाने - पीने की जिन चीजों का उपयोग कर रहे हैं, क्या वे शुद्ध हैं, या फिर वे मिलावटी तो नहीं? 


खाद्य पदार्थों में मिलावट हमारे स्वास्थ्य के लिए बङी चुनौती बन गई है । हमारे बेहतर स्वास्थ्य के लिए अब हमें ही सावधान रहने की जरूरत हैं और साथ ही सुरक्षित भोजन का चयन करना होगा ।


" खाद्य सामग्री में मिलावट कैसे होती जानते हैं "


थोङे से मुनाफे के लिए रसायनों का इस्तेमाल कर फलों को जल्दी पका लिया जाता हैं । खराब फल और सब्जियों को ताजा फल व सब्जियों के साथ मिला दिया जाता हैं ।  


खाद्य सामग्री को आकर्षक आकर्षक बनाने के लिए केमिकलयुक्त रंगों का प्रयोग किया जा रहा हैं । 


दालों और सभी अनाजों में मिट्टी, कंकड़ - पत्थर जैसी चीजे मिला दी जाती हैं । खाद्य उत्पाद के वजन व प्रकृति में बदलाव करने के लिए अच्छी सामग्री के साथ सस्ती और घटिया सामग्री पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से मिलाया  जा रहा हैं ।


" घर पर खाद्य सामग्री में मिलावट की जांच कैसे करे "


घर पर लाल मिर्च पाउडर की जांच उसे पानी में घोल कर सकते हैं, यदि पाउडर पानी पर तैरता है तो वह शुद्ध हैं। यदि वह नीचे बैठ जाता है तो मिलावटी है। अर्थात तैरने वाली मिर्च पाउडर हैं और नीचे बैठने वाला मिलाया गया पदार्थ हैं।


कालीमिर्च की जांच के लिए इसे पानी में डालें। यदि यह तैरती रहीं तो समझो मिलावटी हैं और नीचे बैठती हैं तो शुद्ध हैं ।


पनीर को हाथ से मसलकर देखने पर यदि वह टूटकर बिखर जाए तो समझो मिलावटी है। 


दालचीनी को हाथों पर रगड़ कर देखें। यदि हाथ पर कुछ रंग और खूशबू आए तो वह असली है, यही ऐसा न हो तो मिलावटी है।


" मिलावटी खाद्य उत्पादो से बचाव के उपाय "


गहरे रंग की खाद्य सामग्री, जंक - फूड, फास्ट फूड और रोस्टड फूड से बचें । 


सभी प्रकार अनाज, दालों और अन्य खाद्य उत्पादों को धोकर साफ करने के बाद ही प्रयोग या स्टोर करें ।


फल व सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें साफ पानी से अच्छी तरह धो लें । 


दूध , तेल व अन्य पैक्ड आने वाले खाद्य उत्पाद खरीदने से पहले पैकेजिंग सील, वैधता, लाइसेंस नंबर , सामग्री का विवरण , उत्पादन व समाप्ति तिथि और fssai प्रमाणित लेबल उत्पाद खरीदने से पहले अवश्य देखे।


" इन बातों का भी ध्यान रखें "


पैकेट पर ट्रांस फैट की जानकारी अवश्य चैक करें, विदेशों से आयात पैक्ड फूड पर ट्रांसफैट की जानकारी अंकित होती है, लेकिन भारत में यह अंकित हो भी सकता हैं और नही भी । अतः जब भी पैक्ड खाद्य पदार्थ खरीदें तो उस पर ट्रांसफैट विवरण इंडेक्स अवश्य करें । कही उसमें ऐसी सामग्री तो नही जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हो।


यदि तांबे के बर्तनों का अधिक उपयोग हो रहा हो तो इन बर्तनों में खटाई का उपयोग न करें । खाना विषाक्त हो सकता है ।

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Saturday, June 11, 2022

भोजन में तेल, नमक और चीनी कम खाने की आदत बनाए और स्वस्थ रहे

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तेल, नमक और चीनी के अधिक सेवन से नुकसान और बचाव  उपाय विस्तार से जाने:-


सुबह से शाम तक हम लोग जो भी खाते हैं, उनमें तीन चीजे मुख्य तौर से होती है, जैसे - तेल, नमक और चीनी । जीवन में स्वस्थ रहने के लिए खानपान में इनका उपयोग कम करना बेहतर होता हैं । देश में चल रहे ' ईट राइट इंडिया ' कैम्पेन में भी इसी बात पर पुरजोर दिया गया हैं। 


" कुकिंग ऑयल के नुकसान व बचाव "


साइंटिफिक अध्ययन में बताया गया हैं कि रोज प्रति व्यक्ति सिर्फ 15 ml कुकिंग ऑयल का ही उपयोग करना चाहिए। इस हिसाब  से प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह कुकिंग ऑयल का उपयोग अधिकतम मात्रा 500 ml तक ही निश्चित कर लेनी चाहिए और इससे अधिक उपयोग से बचे। इस हिसाब से परिवार में जितने सदस्य हैं, उतना ही पर्याप्त कुकिंग ऑयल घर पर रखे हैं, ताकि अधिक उपयोग से बचा जा सके।


कुकिंग ऑयल को स्मोक पॉइंट से अधिक देर तक गर्म ना करें। खाना बनाते वक्त कुकिंग ऑयल चम्मच से ही डालें  और एयरटाइट पात्र में रखें। तलने में कुकिंग ऑयल का उपयोग सिर्फ दो बार ही करना चाहिए। 


" चीनी के नुकसान व बचाव "


दिनभर में हम कई रूप में चीनी का सेवन करते हैं। 500 मिली की कोल्ड ड्रिंक बोतल में 50 से 60 ग्राम चीनी होती हैं । एक चम्मच टमाटर सॉस में 5 ग्राम और चॉकलेट बिस्किट में 10 ग्राम तक चीनी हो सकती हैं। 


चाय, कॉफी और दूध में जितनी चीनी मिला रहें हैं, उसकी आधी मात्रा कर दे। बाजार से निश्चित व कम मात्रा में चीनी खरीदें और चम्मच से गिनकर ही डालें। बाजार में पैकिंग फूड का कम से कम उपयोग करे। 


" नमक के नुकसान व बचाव "


नमक का भी अधिक उपयोग हानिकारक हैं, दैनिक इस्तेमाल में नमक की मात्रा पर ध्यान देना बहुत जरूरी हैं। इसकी मात्रा रोज 5 ग्राम तक ही सीमित होनी चाहिए। सर्वे में पता चला हैं, कि देश में लोग निर्धारित मात्रा से दो गुना नमक का सेवन कर रहे हैं। 


रोटी और चावल बनाने में नमक का उपयोग बिलकुल ना करे, क्योंकि सब्जी में नमक होता हैं। सलाद, दही व कटे हुए फलों में नमक बिलकुल न डालें। समारोह और पार्टी आदि में भोजन के साथ अतिरिक्त नमक न रखें और रेस्टोरेंट आदि में टेबल पर रखे नमक पर पाबंदी होनी चाहिए।

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Tuesday, June 7, 2022

रेस्टोरा गोल्ड दुर्बलता और स्टेमिना की रामबाण औषधि, उपयोग और फायदे

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रेस्टोरा गोल्ड दुर्बलता और स्टेमिना की रामबाण औषधि, उपयोग और फायदे विस्तार से जाने 


रेस्टोरा गोल्ड आसव-अरिस्ट पद्धति द्वारा विशेषकर वयस्क स्त्री-पुरूषों के लिए बनी आयुर्वेदिक ऑषधि हैं। रेस्टोरा गोल्ड आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और पौष्टिक फलों के संयुक्त मिश्रण से तैयार विशेष टॉनिक है, जो सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में और उसकी पुनर्स्थापना करने में लाभदायक हैं । इसमें मौजूद द्रव्य घटक शरीर में नई ऊर्जा का संचार प्रदान करते हैं और शारीरिक-मानसिक कमजोरी को दूर करते हैं । यह टॉनिक शरीर को पोषण प्रदान कर कमजोरी दूर करती हैं । 


रेस्टोरा गोल्ड में मौजूद फल जैसे द्राक्षा, अंजीर, पिंड खजूर और सेब अत्यधिक पौष्टिक गुणों और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं । इनमें मौजूद पौष्टिक गुण शरीर को पोषण देने और क्षय हुई शक्ति की पुनर्स्थापना करने में मदद करते हैं । 


रेस्टोरा गोल्ड में मौजूद जङी बूटिया जैसे अश्वगंधा, शतावरी, बला, सफेद मूसली और विदारीकंद इत्यादि का समावेश है, जो प्रकुपित दोषों को समस्थिति में लौटाकर, शरीर का स्वास्थ्य बनाये रखने में मदद करती हैं । 


रेस्टोरा गोल्ड में प्रयुक्त फल और जङी-बूटियों के गुणों और रसायन का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों में किया गया हैं, जो  शारीरिक तथा मानसिक कमजोरी में फायदेमंद होती हैं । 


पाचन शक्ति एवं भूख को बढाने में भी रेस्टोरा गोल्ड बहुत ही कारगर हैं । रेस्टोरा गोल्ड का नियमित इस्तेमाल करने से कमज़ोरी दूर कर वजन बढ़ाती हैं, और स्वस्थ व्यक्ति में ताकत और ऊर्जा के संचार में मदद करती हैं । यह पाचन में सुधार कर वात दोष और उनसे जुड़े लक्षणों जैसे की वजन की कमी, शारीरिक कमजोरी, मानसिक थकान, धातुक्षय, आदि को संतुलित कर स्वास्थ्य प्रदान करती हैं । 


रेस्टोरा गोल्ड के मुख्य घटक नीचे सूचीबद्ध हैं


सेब के फायदे व उपयोग:- सेब एसिडिटी को कम करता हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करता हैं । हृदय, किडनी, यकृत और आंतों को स्वास्थ्य प्रदान करता हैं । 


सेब आयरन और फॉस्फोरस का बहुत अच्छा स्रोत होता हैं । यह पाण्डु रोग और एनीमिया के रोगों में फायदेमंद होता हैं । सेब में प्रचूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो ऊतकों को क्षति पहुंचाने वाले फ्री रैडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं । 


अंजीर के फायदे व उपयोग:- अंजीर कब्ज में राहत दिलाती हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं । अंजीर में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैंगनीज़, विटामिन ए और ई  भरपूर मात्रा में होता हैं । 


द्राक्षा के फायदे व उपयोग:- द्राक्षा पाचक तथा शरीर के स्वास्थ्य की पुनर्स्थापना करने में मदद करता हैं । इसके मृदु रेचन कार्य की वजह से यह शरीर से विषाक्त पदार्थों और कब्ज को खत्म करने में मदद करता हैं । यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता हैं, जो शरीर से फ्री रैडिकल्स को खत्म करने में मदद करता हैं ।


केसर के फायदे व उपयोग:- केसर में मौजूद रसायन गुण प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने में मदद करतें है । इसका निद्राजनन गुण अनिद्रा में लाभ देता है । यह त्वचा और जोड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती हैं । 


अश्वगंधा के फायदे व उपयोग:- अश्वगंधा में मौजूद रसायन व्याधि प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं । यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता हैं । 


सफेद मूसली के फायदे व उपयोग:- सफेद मूसली एंटीऑक्सीडेंट से प्रचूर मात्रा में होता हैं । इसमें रसायन और वृष्य होते हैं, जो पुरुषों के लिए लाभप्रद होते हैं ।


खजूर के फायदे व उपयोग:- खजूर मधुर, पौष्टिक, बलवर्धक, श्रम हारक होता हैं । यह शारीरिक सौष्ठव प्राप्त करने के लिए लाभदायी होता हैं । पाण्डु रोग और एनीमिया में लाभकारी सिद्ध होता हैं । 


शतावरी के फायदे व उपयोग:- शतावरी में प्रोटीन, एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिंस होते हैं, जो शारीरिक समस्याओं और कमजोरी दूर करने में सहायक है। विशेषकर पुरुषों के लिए शतावरी का इस्तेमाल लाभकारी होता हैं। इसके इस्तेमाल से मोटापा, लो स्पर्म काउंट, प्रजनन क्षमता में सुधार होता हैं।


बला के फायदे व उपयोग:- बला शारीरीक और मानसिक समस्याओं को दूर कर स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।


विदारीकंद के फायदे व उपयोग:- विदारीकंद शारीरिक दुर्बलता को दूर करता हैं और पाचन क्षमता को बढ़ाता हैं ।


अकरकरा के फायदे व उपयोग:- अकरकरा शरीर में बल्ङ संचार को संतुलित करता हैं । इसकी जड़ में अल्काइल - अमाइड रसायन की भरपूर मात्रा होती है जो टेस्टोस्टेरोन की मात्र बढ़ाने में मदद करती हैं। अकरकरा प्रजनन क्षमता, शुक्राणु की मात्रा और पुरुषों में कामेच्छा बढाने में सहायक है।


धातकी के फायदे व उपयोग:- धातकी स्वास्थ्य वर्द्धक जङी बूटी हैं, जो रोगों को दूर कर स्वास्थ्य प्रदान करती हैं ।


नागकेसर के फायदे व उपयोग:- नागकेसर शरीर में रक्त की वृद्धि करती हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त कर भूख को बढाती हैं ।


मधु के फायदे व उपयोग:- मधु में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, विटामिन B6, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि पोषण तत्व होते हैं। जो इम्युनिटी को बढ़ाकर स्वास्थ्य प्रदान करता हैं ।


रेस्टोरा गोल्ड की उपयुक्तता :-यह बल्य, रूच्य, रसायन, दीपनीय, पोषक, क्षयहर, भूख बढ़ाने वाला, एंटीऑक्सीडेंट, पाचन और पोषक गुणों से युक्त टॉनिक हैं ।


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Tuesday, May 25, 2021

चिनिनम सल्फ्यूरिकम ( CHININUM SULPHURICUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदें

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" चिनिनम सल्फ्यूरिकम ( CHININUM SULPHURICUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदें विस्तार से जानकारी "


चिनिनम सल्फ्यूरिकम कुनीन का दूसरा नाम हैं । यह औषधि शुद्ध कुनीन होती हैं । एलोपैथी में हर किस्म के मलेरिया को ठीक करने लिए कुनीन दी जाती हैं । परन्तु कुनीन का अपने ढंग का ज्वर होता हैं, जिसमें चिनिनम सल्फ्यूरिकम उच्च शक्ति में कुनीन के दोषों को उत्पन्न किए बगैर ही ज्वर को ठीक कर देती हैं । कुनीन की थोड़ी मात्रा के सेवन से यदि मलेरिया ठीक नहीं होता, तो डॉक्टर इसकी मात्रा को बढ़ा देते हैं । जिससे बुखार उतरने के बजाय दब जाता हैं और अन्य लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं । कान बहरे हो जाते हैं, भूख लगनी बंद हो जाती है, शरीर में क्षीणता, दुर्बलता आ जाती है, खून की कमी हो जाती हैं । 


चिनिनम सल्फ्यूरिकम में सवेरे 10, 11  बजे लगभग और तीसरे पहर के 3 बजे से रात के 10 बजे तक एक दिन का अन्तर देकर, दो घंटे आगे बढ़कर ज्वर आता हैं । इसी दौरान रोगी को ठंड लगती हैं ।  


इसके रोगी को शीत अवस्था, उत्ताप की अवस्था और स्वेद की अवस्था, ज्वर की इन तीनों अवस्थाओं में रोगी प्यास रहती हैं ।


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Monday, May 24, 2021

सिक्यूटा वाइरोसा ( CICUTA VIROSA ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग तथा फायदें

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सिक्यूटा वाइरोसा ( CICUTA VIROSA ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग तथा फायदों का वर्णन -

  • ऐंठन में फायदेंमंद
  • मानसिक कमज़ोरी
  • एग्जीमा जैसे फोड़े - फुंसी

" ऐंठन में फायदेंमंद "


मिर्गी, हिस्टीरिया और फुंसी रोगों के दब जाने से मानसिक रोग जो ऐंठन का रूप ले लेते हैं। बच्चों के दांत निकलते समय ऐंठन होना सिक्यूटा वाइरोसा के ही लक्षण हैं । यह ऐंठन सिर, आँख और गले से शुरु होकर पीठ के नीचे से होती हुई हाथ - पांव की तरफ फैलती हैं।  

" मानसिक कमज़ोरी "

  • याद्दास्त की कमी इस औषधि का अद्भुत लक्षण हैं । रोगी से डॉ द्वारा जो कुछ पूछा जाता हैं, वह उसका सही - सही उत्तर देता हैं ।  परन्तु बाद में उसे कुछ याद नहीं रहता कि क्या हुआ हैं और उसने क्या जवाब दिया हैं ।  
  • सिक्यूटा वाइरोसा का रोगी कोयला आदि जैसे चीजे खाता हैं क्योकि उसे इस बात का भी पता नहीं रहता कि क्या खाने की वस्तु है और क्या नहीं है । वह बच्चो की तरह हरकते करता है। जैसे - नाचता हैं , गाता हैं , चिल्लाता हैं और शोर मचाता हैं क्योकि उसे अपने - आप का यथार्थ ज्ञान नहीं रहता । 
  • वृद्ध पुरुष भी बच्चों की तरह बरताव करने लगते हैं ।  अपने मित्रों और परिचित व्यक्तियों को भी नहीं पहचानता और उन्हे अजनबी की तरह देखता हैं । उन्हें देख कर आश्चर्य करने लगता हैं कि क्या ये वही व्यक्ति हैं जिन्हें वह कभी जानता था । अपने विषय में भी वह सब कुछ भूल जाता हैं । उसे याद नहीं रहता कि उसकी क्या आयु है । 
  • स्त्री को जब दौरा पड़ता हैं और उसमे से निकलने के बाद वह बच्चों की तरह हरकते करने लगती हैं । 
  • ऐसी कई घटनाए होती हैं जैसे - बचपन में सिर पर चोट लगने से व्यक्ति भी अपंग हो गया और युवा अवस्था तक वह बच्चा ही बना रहा हो, तो उन्हें सिक्यूटा वाइरोसा 200 की मात्रा कुछ समय देने से उसका मस्तिष्क ठीक हो जाता हैं। अर्थात उसके मस्तिष्क का विकास होना शुरू हो जाता हैं ।

" एग्जीमा जैसे फोड़े - फुंसी "

  • यह औषधि एग्जीमा जैसे फोड़े - फुंसी को भी ठीक कर देती हैं , जो एक साथ  मिलकर एक पीली पपड़ी तक बना देते हैं । 
  • जैसे - किसी रोगी का सिर पर इस प्रकार एग्जीमा से भरा जैसे कोई टोपी रखी हो तो ऐसे रोगी को सिक्यूटा वाइरोसा की 200 शक्ति की एक मात्रा से वह बिल्कुल ठीक हो जाता हैं । 
  • खोपड़ी और दाढ़ी के बालो के अंदर होने वाली फुंसियों को भी यह औषधि ठीक कर देती हैं ।

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Sunday, May 23, 2021

चेलिडोनियम ( CHELIDONIUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदें

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चेलिडोनियम ( CHELIDONIUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदों का विस्तार पूर्वक वर्णन -

  • दाहिने स्कन्ध फलक के निचले भाग में लगातार दर्द
  • चेलिडोनियम और लाइकोपोडियम की तुलना 
  • पित्त की पथरी का दर्द
  • दायीं तरफ का न्यूमोनिया
  • आँख के रोगों में लाभप्रद 

" दाहिने स्कन्ध फलक के निचले भाग में लगातार दर्द "


चेलिडोनियम का  जिगर के रोगों  पर विशेष प्रभाव है और यही  इसका मुख्य लक्षण है। पीठ के पीछे दाहिने कंधे की तरफ जो अस्थि फलक है, उसके नीचे लगातार दर्द होते रहना भी इसका मुख्य लक्षण हैं । यह औषधि मुख्य रूप से  शरीर के दांए  हिस्से पर ही प्रभाव करती है । 

यह दर्द जिगर की बीमारी के कारण होता है । यह दर्द हल्का व तेज़ दोनों भी हो सकता है। इस लक्षण के साथ पीलिया , खांसी , अतिसार , न्यूमोनिया , रजोधर्म व  थकावट आदि में से  कोई भी रोग हो सकता है। यदि  इन रोगों के साथ उक्त लक्षण मौजूद हो तो यह औषधि विशेष लाभ पहुँचती है । 

रोगी का मुख का स्वाद कड़वा हो , जीभ पीली हो , आँखों पीलापन  व  चेहरा , हाथ , त्वचा पीली पड जाए , मल सफेद या पीला हो , पेशाब पीला हो , भूख न लगे , जी घबराए , पित्त की उल्टी हो तो ऐसी हालत में यदि  दाहिने कंधे के अस्थि फलक के निचले हिस्से में  दर्द न भी हो , तो भी  जिगर की बीमारी होने के कारण चेलिडोनियम अच्छा फायदा करती है। 


" चेलिडोनियम और लाइकोपोडियम की तुलना "


चेलिडोनियम और लाइकोपोडियम दोनों ही शरीर के दायीं तरफ की औषधियाँ  हैं । लेकिन  अनेक लक्षणों में इनमें  समानता भी पायी जाती है । चेलिडोनियम स्वल्पकालिक औषधि  है , इसका असर उतना गहरा नहीं होता । अगर इस औषधि से जिगर के  रोग ठीक न हो तो  लाइकोपोडियम देने की जरूरत पड़ जाती है । जिगर के रोग को दूर करके जिस काम को चेलिडोनियम अधूरा छोड़ देती है, उसे लाइकोपोडियम पूरा कर देती है । लाइकोपोडियम की तरह चेलिडोनियम औषधि का रोगी तेज़ गर्म चीज खाना व पीना पसंद करता है । 


" पित्त की  पथरी का दर्द "


पित्ताशय से पित्त की छोटी सी पथरी जब मूत्र प्रणाली में फंस जाती है। जिसके कारण रोगी को अत्यंत पीड़ा होती हैं। चेलिडोनियम मूत्र  प्रणालिका को खोल देती है।  और पित्त की  पथरी बिना दर्द किए आगे बढ़ जाती है । 


" दायीं तरफ का न्यूमोनिया "


हम यह जान चुके है की यह औषधि दायीं तरफ विशेष प्रभाव करती है । दाई आँख , दायां फेफड़ा , दाई टाँग , दाई जांघ , न्यूमोनिया में भी इसका दायें फेफड़े में अच्छा लाभ होता है । चेलिडोनियम का न्यूमोनिया की औषधियों मे विशेष स्थान है । न्यूमोनिया का जिगर की विकृति से कोई संबंध होता है । न्यूमोनिया में भी दायें स्कन्ध फलक के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है । तो चेलिडोनियम अच्छा लाभ करती है। 


" आँख के रोगों में लाभप्रद "


चेलिडोनियम से आँख रोगों  में जैसे मोतियाबिंद, आँखों में पीलापन , धुंधलापन आदि में विशेष लाभ पहुँचती हैं। 


" चेलिडोनियम की  शक्ति तथा प्रकृति "


चेलिडोनियम मूल अर्क व अन्य सभी शक्तियों में उपलब्ध है।  इसका रोगी ठंडा पानी नही पी सकता । उबलता गर्म पेय ही  पेट में ठहरता है । चेलिडोनियम शीत प्रकृति की औषधि है । 

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Saturday, May 22, 2021

चिनिनम आर्सेनिकम ( CHININUM ARSENICUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदें

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चिनिनम आर्सेनिकम ( CHININUM ARSENICUM  ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदों को जानते है

  • थकावट तथा कमजोरी
  • दमा 
  • अनिंद्रा 

" थकावट तथा कमजोरी "


चिनिनम आर्सेनिकम दवा कुनीन और आर्सेनिक के मिश्रण से बनी है । थकावट तथा कमजोरी इस औषधि का विशेष लक्षण है । वैसे तो होम्योपैथिक में टॉनिक नाम की कोई चीज नहीं होती। व्यक्ति की जो ' धातुगत औषधि ' हैं, जीवनी - शक्ति को जगाती है । टॉनिक का काम जीवन शक्ति को जागृत करना है। परन्तु थकावट तथा कमजोरी के लक्षणो में चिनिनम आर्सेनिकम का प्रयोग टॉनिक के रूप  में ही किया जाता है । 


डिफ्थीरिया, मलेरिया, स्नायु शूल आदि रोगों में जब रोगी लम्बा बीमार होता है, रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ नहीं होता, उस समय चिनिनम आर्सेनिकम औषधि से लाभ होता है । 


" दमा में लाभप्रद "


दमे में जब रोगी को समय - समय पर दौरे पड़ते हैं। जिस कारण से रोगी नितान्त असमर्थ तथा बलहीन हो जाता है, तब चिनिनम आर्सेनिकम औषधि से लाभ मिलता है । 


" अनिद्रा को दूर करना "


स्नायु संबंधी कमजोरियों के  कारण रोगी को  नींद  नहीं  आती हो , तो चिनिनम आर्सेनिकम से लाभ  होता है । यह अनिद्रा की शिकायत  विशेषकर मध्य  रात्रि से पहले होती है । 

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कॉस्टिकम ( CAUSTICUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदें

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कॉस्टिकम ( CAUSTICUM ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदों का विश्लेषण -

  • बेहद कमजोरी 
  • सायंकाल में मानसिक लक्षणों का बढ़ना 
  • दुख , शोक , भय व रात्रि जागरण से रोगों की उत्पत्ति 
  • स्पर्श सहन नहीं कर पाना   
  • गठिये में पुठ्ठों और नसों का छोटा पड़ जाना और ठंडी हवा में आराम 
  • खांसी में ठंडे पानी के घूंट से आराम तथा कूल्हे के जोड़ में दर्द 
  • मोतियाबिंद में फायदेमंद 
  • मस्सों में लाभप्रद 
  • दिन में होने वाले मासिक धर्म में आराम

" कॉस्टिकम की प्रकृति " 


ठंडा पानी पीने से, बिस्तर की गर्मी से, हल्की हरकत से, गठिये में नमीदार हवा से रोगी को आराम मिलता हैं । जबकि खुश्क व ठंडी हवा से, त्वचा रोग के दब जाने से रोगों से तथा सायंकाल को रोगी के रोग में वृद्धि होती हैं । 


" बेहद कमजोरी - गला, जीभ, चेहरा, आँख, मलाशय, मूत्राशय, जरायु, हाथ - पैर आदि का पक्षाघात " 


इस औषधि का मेरूदंड पर विशेष क्रिया होती हैं। क्योंकि वहीं से ज्ञान - तंतु भिन्न -भिन्न अंगों में जाते हैं इसलिये मेरुदंड के ज्ञान तंतुओं पर ठंड आदि के कारण या चिरस्थायी दुख , शोक , भय , प्रसन्नता , क्रोध , खिजलाहट आदि के कारण जिन्हें रोगी सह नहीं सकता, उसको भिन्न - भिन्न अंगों में से किसी भी अंग में पक्षाघात हो सकता हैं । 


पक्षाघात किसी एक अंग का होता हैं। ठंड लगने या भय आदि से जब शुरु - शुरु मे किसी अंग में यह रोग होता हैं तो इसे एकोनाइट ठीक कर देती हैं। परन्तु जब एकोनाइट काम नहीं करती, तब कॉस्टिकम देने की जरूरत पड़ती हैं।


कॉस्टिकम में रोग का प्रारंभ बेहद कमजोरी के कारण शुरु होता हैं । हाथ - पैर या शरीर के अंग कापने लगते हैं , रोगी बलहीनता में डूबता जाता हैं ।  मांसपेशियों की शक्ति धीरे धीरे क्षीण होती जाती हैं । गले में पक्षाघात , भोजन प्रणाली  में पक्षाघात , डिफ्थीरिया के बाद इन अंगों में पक्षाघात , आँख की पाठक का पक्षाघात हो सकता हैं।


मलाशय , मूत्राशय , जरायु का पक्षाघात , हाथ - पैर का शक्तिहीन हो जाना , बेहद सुस्ती , थकान , अंगों का भारीपन ये सब पक्षाघात की तरफ धीरे - धीरे बढ़ने के लक्षण हैं । कॉस्टिकम का पक्षाघात प्राय दाई तरफ होता हैं । जिनमें कॉस्टिकम का प्रयोग लाभप्रद हैं । 


>> एक - एक अंग का पक्षाघात - पक्षाघात इस औषधि का चरित्रगत लक्षण हैं । शरीर के किसी एक अंग पर इस रोग का आक्रमण होता हैं । उदाहरणार्थ , अगर ठंडी , खुश्क हवा में लम्बा सफर करने निकले और हवा के झोके आते जाये , तो किसी एक अंग पर इस हवा का असर पड़ जाता हैं और वह अंग सुन्न हो जाता हैं , काम नहीं करता । ठंड से चेहरा टेढ़ा हो जाता हैं , आवाज़ बैठ जाती हैं , भोजन निगलने की मांसपेशियां काम नहीं करती हैं, जीभ लड़खड़ाने लगती हैं , आँख की पलक झपकना बंद कर देती हैं , पेशाब नहीं आता , शरीर भारी लगता हैं । इन सब लक्षणों पर कॉस्टिकम बहुत अच्छा काम करती हैं ।


>> मलाशय से मल अपने - आप निकल जाना या कब्ज होना - मलाशय पर पक्षाघात का असर दो तरह का हो सकता हैं । इसमें मलाशय काम नहीं करता इसलिये या मल अपने - आप निकल जाता हैं , या फिर कब्ज के कारण मल निकलेगा ही नहीं । दोनों अवस्थाए पक्षाघात का परिणाम हैं । 


>> मूत्राशय से अपने - आप मूत्र निकल जाना या बन्द हो जाना - मलाशय की तरह ही मूत्राशय के पक्षाघात का भी यह स्वाभाविक परिणाम है कि या तो मूत्र अपने - आप निकल जाता है या फिर बंद हो जाता है।  क्योंकि उसे रोकने वाली पेशियां काम नहीं करती, जिससे कोशिश करने पर भी पेशाब नहीं आता है । ये दोनों अवस्थाएं भी पक्षाघात का ही परिणाम होती हैं । 


>> बच्चों का नींद में पेशाब निकल जाना - प्राय : देखा जाता है की बच्चे सोने के बाद पेशाब कर देते हैं , या जागते हुए भी अनजाने में पेशाब कर देते है । बच्चा इस प्रकार पेशाब पहली नींद में ही कर दे , तो कॉस्टिकम अच्छा लाभ करती हैं । बच्चे को पता ही नहीं चलता कि उसने पेशाब कर दिया है । जब वह हाथ लगाकर देखता है तो  पता चलता है की उसका कच्छा गीला हो गया है तब वह समझता जाता  है कि उसका पेशाब अपने - आप ही निकल गया है ।


" सायंकाल मानसिक लक्षणों का बढ़ना "


कॉस्टिकम औषधि का रोगी हर समय उदास रहता है । मन की यह अवस्था उस समय बहुत बढ़ जाती है जब दिन का उजाला घटने लगता है। रोगी उस समय डरा हआ ,और घबराया हुआ रहता है । उसके मन की एकाग्रता भंग हो जाती है और उसे कैसे भी शान्ति नहीं मिलती  । उसे ऐसा लगता है कि कोई संकट आ खड़ा हुआ है । उसकी अंतर आत्मा से आवाज आती है कि उसने कोई अपराध किया है ।

 

इस घबराहट में उसे बार - बार पाखाने की हाजत होती है । घबराहट में चेहरा लाल हो जाता है  और उस समय बार - बार पाखाने की हाजत होना कॉस्टिकम का विशेष लक्षण होता  है । रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा , संदेहशील तथा दूसरों के दोष दूंढने वाला हो जाता हैं।  चिड़चिड़ा होना और दूसरों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना कॉस्टिकम ही एक अद्भुत लक्षण है ।


" दुख, शोक, भय व रात्रि जागरण से रोगों की उत्पत्ति "


यह  औषधि विशेषकर उन मानसिक रोगियों  के लिए अत्यन्त उपयोगी व लाभप्रद होती है, जो दीर्घकालीन दुख , शोक व भय  से ग्रसित होते है । 


>> रात्रि जागरण से उत्पन्न रोग - कई दिनों तक रात्रि जागरण में जो रोग हो जाते है उनके लिये भी यह लाभप्रद है । इन रोगों की उत्पत्ति भी जीवन शक्ति के निम्न स्तर पर पहुच जाने के कारण होती हैं । इन रोगों में  जब रोगी सोचने लगता है तब उसकी तबीयत और बिगड़ लगती है ।

 

>> भय या त्वचा  रोग के दब जाने से मृगी , तांडव , ऐंठन होना - कभी - कभी मृगी , तांडव तथा ऐंठन का रोग व्यक्ति के भीतर किसी भय के कारण उत्पन्न होते है । भय के कारण उत्पन्न इन  रोगों को कॉस्टिकम दूर कर देती है । भय के अतिरिक्त किसी त्वचा के रोग को लेप आदि से दवा देने से भी इस प्रकार के मानसिक - लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं । 


>> यौवन काल में मासिक धर्म की गड़बड़ी - यौवन काल में लड़कियों में मासिक धर्म की गड़बड़ी इस औषधि के  लक्षण हैं । मन में भय के बैठ जाने , दानों के दब जाने या मासिक धर्म के अनियमित होने परयदि मृगी , तांडव या ऐंठन हो और रोगी अनजाने में अपने हाथ - पैर हिलाता रहे या सोते हुए हाथों या पैरों को झटकता हो  , तो कॉस्टिकम उपयोगी औषधि होती है । 


>> मस्तिष्क के पक्षाघात से  पागलपन - ज्यादा  पागलपन के रोग लिए  तो बेलाडोना अधिक कारगर होती हैं , परन्तु जब रोग पुराना हो  जाता है और मस्तिष्क के पक्षाघात के कारण रोग ठीक नहीं होता, रोगी हमेशा  चुपचाप रहता हो  , किसी से बात नहीं करता , अपने दिल मे निराश रहता है , तब पक्षाघात के कारण उत्पन्न इस  पागलपन को  कॉस्टिकम ठीक कर देती है । 


" स्पर्श सहन नहीं कर पाना "


स्पर्श सहन नहीं कर पाना इस औषधि का  चरित्रगत लक्षण है । इसमें  खांसते हुए छाती में, गले में, पेट की शोथ में तथा  दस्त के समय कपड़ों के स्पर्श से फोड़े जैसा दर्द होता है। मलद्वार में लाली पड़ जाती है जिसे  छूने पर दर्द होता है।  स्पर्श के प्रति इस प्रकार की असहिष्णुता कॉस्टिकम का एक व्यापक लक्षण है । कॉस्टिकम में  स्पर्श न सह सकने का दर्द श्लेष्मिक स्तर का होता है , जिसमे अघपके फोड़े जैसा  दर्द होता हैं। 


" गठिये में पुठ्ठों और नसों का छोटा पड़ जाना " 


गठिये के इलाज में प्राय अनेक प्रकार के तेलों से मालिश की जाती हैं। इनके परिणामस्वरूप जोड़ और अंग  विकृत हो जाते हैं और  पुठ्ठे  और नसें छोटी पड़ जाती है। रोगी  बाँहों व  पैरों को  सीधा नही कर पाता, उनको सीधा करने से वे अकड़  जाते हैं। 


" ठंडी हवा में आराम "


गठिये में  कॉस्टिकम का विशेष लक्षण यह है कि रोगी को ठंड या नम हवा में आराम मिलता है । जब नम या सर्द मौसम आता है तो गठिया ठीक  हो जाता है । साधारण तौर पर गठिये का रोग ठण्ड से बढ़ता है , परन्तु कॉस्टिकम में  उल्टा होता है । 


" खांसी में ठंडे पानी के घूंट से आराम तथा कूल्हे के जोड़ में दर्द "  


सूखी खांसी आती है , जिससे सारा शरीर हिल जाता है , रोगी कफ को बाहर निकालने की कोशिश  करता है , लेकिन निकाल नहीं पाता , वह इसे अन्दर ही निगल जाता है । रोगी को खांसते  हुए गले और  छाती में अधपके फोड़े के समान दर्द होता है । उसे  इस खांसी  में ठंडे पानी का घूंट पीने से आराम मिलता है। इस कफ में लेटने पर  खांसी बढ़ जाती है और जब रोगी खांसता है तो  उसके  कूल्हे के जोड़ों में  दर्द होता है । 


" मोतियाबिंद में फायदेमंद "


इस औषधि में रोगी  रोशनी को सहन नहीं पाता । आँखों के आगे काले गोल धब्बे उड़ते हुए दिखते हैं । होम्योपैथिक में इसे मोतियाबिंद की अत्युत्तम औषधि मानी  गई है । रोगी को धुंध जैसा दिखाई देता है और आँखों के सामने एक पर्दा सा आ जाता है।  


" मस्सों में लाभप्रद "


इस औषधि में शरीर पर मस्से पैदा करने की शक्ति होती  है । यह  शरीर , आँखों की पलको , चेहरे व  नाक पर मस्से पैदा कर सकती है।  लेकिन यह  मस्सों  को दूर भी करती है । 


" दिन में होने वाले मासिक धर्म में आराम "


जब  मासिक धर्म सिर्फ दिन में होता हो और  लेटने से बंद हो जाता हो तो यह इसका विचित्र लक्षण है ।

 

" कॉस्टिकम के अन्य लक्षण "


>> रोगी आग से जलने के बाद ठीक नहीं हो रहा हो तो व कॉस्टिकम से ठीक हो जाता है । 

>> पुराना घाव ठीक होकर  यदि बार - बार उत्पन्न हो जाता है तो यह अतिउत्तम औषधि  है । 

>> मोतियाबिंद में कुछ दिन तक  प्रतिदिन 30  शक्ति की  एक मात्रा देने से लाभ होता है । 

>> यदि  यह देखा जाए  कि रोगी दवा देने के बाद  कुछ देर तक ही ठीक रहता है और  फिर वही हालत हो जाती है तो कॉस्टिकम बहुत ही उत्तम औषधि है । 

>> यदि सुबह के समय  आवाज बंद रहे तो कॉस्टिकम देने से आराम मिलता है । 


" कॉस्टिकम की  शक्ति तथा  प्रकृति "


कॉस्टिकम प्रमुख तोर से सभी शक्तियों में उपलब्ध है।  पुराने रोगों में उच्च शक्ति एक या दो बार दी जाती है  | यह औषधि शीत  प्रकृति के लिए है । औषधि के प्रयोग से पहले  अपने चिकित्सक की सलाह जरूर करे।  

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Thursday, May 20, 2021

सिएनोथस ( CEANOTHUS ) के व्यापक लक्षण, रोग व फायदें

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सिएनोथस ( CEANOTHUS ) के व्यापक लक्षण, रोग व फायदें विस्तार पूर्वक वर्णन -

 

" पेट में बाईं तरफ तिल्ली में दर्द "


होम्योपैथिक में सिएनोथस का तिल्ली पर विशेष प्रभाव होता हैं ।  मलेरिया के निरन्तर  आक्रमण से तिल्ली बढ़ जाती हैं । लेकिन सिएनोथस औषधि से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती हैं ।  तिल्ली बढ़ जाने से पेट के बाईं तरफ के नीचे के हिस्से में दर्द होता हैं । यह दर्द अन्दर गहराई में होता हैं । और इसका कारण तिल्ली का बढ़ जाना होता हैं ।  


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