क्लेमैटिस इरैक्टा ( CLEMATIS ERECTA) के लक्षण, रोग और फायदों का विस्तृत विश्लेषण :-
" प्रमेह रोग व लक्षण का विवरण "
क्लेमैटिस इरैक्टा प्रमेह ( सुजाक ) की उत्कृष्ट औषधि हैं । सोरा धातु के रोगी के लिए यह उत्तम दवा हैं । इस दवा का काम ' तन्तुओं ' में प्रविष्ट होकर उनका शोथ करना है । यह औषधि प्रमेह ( गोनोरिया ) के उन रोगियों के लिए हितकारी होती है, जिनका रोग ऐलोपैथी के इलाज से ठीक न होकर लम्बा चल रहा हो । जब प्रमेह में मूत्रनली का शोथ बढ़ता चला जाए, और मूत्रनली फोड़े की तरह कड़ी हो जाए, दबाने से दर्द हो और नली का छेद बन्द हो जाए, तब इस दवा के प्रयोग से बन्द छिद्र आश्चर्यजनक रूप में खुल जाता हैं । और बन्द या सूक गए प्रमेह का स्राव फिर से शुरू हो जाता हैं । यह दवा दो से तीन महीने इस्तेमाल करने से प्रमेह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता हैं ।
" मूत्राशय पूरा खाली न हो पाना "
प्रमेह रोग से जब मूत्रनली संकुचित हो जाती है, तब मूत्राशय से पूरा पेशाब नही निकल पाता । रोगी को पेशाब करने के बाद भी लगता हैं, कि थोड़ा बाकी रह गया है । संकुचन के कारण पेशाब धीरे-धीरे बून्द-बून्द करके निकलता है । मूत्र के प्रारंभ होने और कर चुकने के बाद जलन होती हैं । मूत्रनली से गाढ़ी पस निकलती है । प्रमेह की प्रथम अवस्था में जब शोथ अपने शिखर पर होती है, तब यह दवा नही दी जाती । यह दवा उन रोगियों को दी जाती हैं, जिन्हे लम्बे समय से प्रमेह रोग है ।
" अंडकोश का शोथ "
प्रमेह के कारण अडकोशों में शोथ हो जाती है । जब प्रमेह को अनुपयुक्त उपचार से दबा दिया जाता है, तब अंडकोश में सूजन और कड़ापन आ जाता है । तब दर्द होता है और दर्द की इस अवस्था को पल्सेटिला से शान्त किया जाता है । और अवरुद्ध हुआ प्रमेह का स्राव जारी हो जाता है । इस दवा में प्राय दायी तरफ के अंडकोश में सूजन होती हैं, और यह दवा दायी ओर ही उत्तम असरकारक होती है ।
" विचित्र एग्जीमा "
क्लेमैटिस इरैक्टा का एग्जीमा विचित्र होता है । अमावस्या के बाद रिसता है, और पूर्णिमा के बाद खुश्क हो जाता है । एग्जीमा में खुजली होती है, और उससे पस निकलती है । ठंडे पानी से धोने से और बिस्तर की गर्मी से रोग में वृद्धि होती है ।
" अकेले में डर और दूसरे के साथ घबराहट "
क्लेमैटिस इरैक्टा दवा का रोगी अकेले में डर महसूस करता हैं, और दूसरो के साथ से घबराहट । यह इस दवा का विचित्र मानसिक लक्षण है ।
" क्लेमैटिस इरैक्टा शक्ति तथा प्रकृति "
मूत्रनली के संकुचन की प्रारंभिक अवस्था में जब मूत्र रुक-रुक कर आ रहा हो और संकुचन पूरी तरह नही हुआ हो, तब उच्च शक्ति का प्रयोग करने से संकुचन नही हो पाता । क्लेमैटिस इरैक्टा शीत प्रकृति की दवा हैं ।
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