कैलकेरिया कार्बोनिका ( CALCAREA CARB ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग तथा फायदों का विश्लेषण -
- थुलथुलापन, दुर्बलता, थोड़े श्रम से थक जाना, अस्थियों का अपूर्ण विकास
- पेट व सिर बड़ा और गर्दन व टांगे पतली
- शरीर व पांव ठंडा परन्तु सिर पर अधिक पसीना
- शरीर व स्रावों से खट्टी बदबू
- शारीरिक व मानसिक दुर्बलता
- मासिक धर्म की अनियमितता
- रोगी शीत प्रधान व आराम पसन्द
- बच्चों के दाँत निकलते समय के रोग
- रोगी को कण्ठमाला की प्रकृति
" कैलकेरिया कार्बोनिका की प्रकृति "
गर्म हवा रोग के लक्षणों में कमी आती हैं। जबकि ठंड, ठंडी हवा से, शारीरिक श्रम से, मानसिक श्रम से बढ़ना चढ़ाई में चढ़ने से व बच्चों के दांत निकलने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती हैं।
"थुलथुलापन, दुर्बलता, थोड़े श्रम से थक जाना, अस्थियों का अपूर्ण विकास "
बच्चा के जब दांत निकल रहे होते हैं, तभी उन्हें देखकर पहचाना जा सकता हैं कि बड़ा होकर उसके शरीर की रचना कैसी होगी । अगर उसका शरीर भोजन तत्वों से लाइम समीकरण नहीं कर रहा, तो उसकी हड्डियों का विकास ठीक नहीं हो पाएगा । हड्डियों की रचना से कहा जा सकता है कि उनका नियमित विकास नहीं हो रहा । किसी अंग में हड्डियां पतली, तो किसी में टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देती हैं । टाँगें पतली, मेरुदण्ड टेढ़ा, कमजोर हड्डियां की ऐसी हालत होती है उस बच्चे विकास ठीक नहीं हो पाता । बच्चें की जीवनी शक्ति में कोई निर्बलता होती हैं, जिसे दूर किए बिना बच्चे का विकास हो पाता ।
इस प्रकार के स्थूल, थुलथुल, कमजोर, अस्थियों के टेढ़े - मेढ़े व्यक्ति या बच्चा हो, वह बचपन से इन लक्षणों को लेकर बड़ा हुआ हो तो कैलकेरिया कार्बोनिका उसे ठीक कर उसकी शरीर की रचना को बदल देती हैं । आजकल लड़के लड़कियां पतला होने की कोशिश करते हैं । क्योंकि इसमे वे सुन्दरता और मोटापे के रोगों देखते हैं । अगर उसके शरीर की रचना कैलकेरिया की है, तो उचित शक्ति की कैलकेरिया कार्बोनिका देने से उनकी मनोकामना पूरी जाती हैं । यदि कैलकेरिया कार्बोनिका माता को गर्भावस्था में दी जाए, तो बच्चों में होने वाली इन परेशानियों से बचा सकता हैं और सुदृड़ पैदा होगा ।
" पेट व सिर बड़ा और गर्दन व टांगे पतली "
ऊपर जो कुछ भी कहा गया हैं, उससे स्पष्ट होता हैं कि जिस व्यक्ति के विकास में अस्थियों और मांसपेशियों का पूर्ण विकास नहीं होगा तो उसकी क्या स्थिति होगी । उस बालक या युवा का स्थिति - बड़ा सिर, बड़ा पेट, पतली गर्दन और पतली टांगे जिससे उन्हें चलने - फिरने में दिक्कत होती हैं।
" शरीर व पांव ठंडा परन्तु सिर पर अधिक पसीना "
इसके रोगी का विशेष लक्षण यह है कि उसे अत्यंत सर्दी लगती हैं , शरीर ठंडा रहता है , लेकिन सोते समय पसीना अधिक आता हैं । पसीने की मात्रा सिर पर अधिक होती हैं। साथ ही कैलकेरिया का विलक्षण लक्षण यह भी हैं कि इसके रोगी को ठंडे कमरे में भी उसे पसीना आता हैं और पांव बर्फ जैसे ठंडे होते हैं । कैलकेरिया से शरीर की जीवनी शक्ति का सुधार तो होता ही हैं, और इसके साथ ही जिन रोगों का हमें पता नही , वह भी ठीक हो जाते हैं । कैलकेरिया के रोगी के शरीर में ठंड कभी सिर में, कभी पाँव में, कभी पेट में और कभी जांघों में महसूस होती हैं और भिन्न - भिन्न अंगों में पसीना भी आता हैं ।
" शरीर व स्रावों से खट्टी बदबू "
कैलकेरिया के रोगी के शरीर व स्त्रावों से खट्टी बदबू आती हैं । उसके पसीने, कय तथा दस्त में खट्टी बदबू आती हैं । कई बार किसी मोटे थुलथुले व्यक्ति में पसीने से खट्टी बदबू आती रहती हैं, तो वह कैलकेरिया का रोगी हैं ।
" शारीरिक व मानसिक दुर्बलता "
जिस प्रकार रोगी का शरीर दुर्बल होता हैं, उसी प्रकार उसका मन भी दुर्बल होता हैं । देर तक मानसिक श्रम नहीं कर सकता । शारीरिक श्रम से भी वह तुरन्त थक जाता हैं और पसीने से भीगा रहता हैं । अत्यधिक चिन्ता, व्यापारिक कार्यों में व्यस्तता तथा मानसिक उत्तेजना से जो रोग उत्पन्न होते हैं, उनमें यह औषधि लाभप्रद होती हैं । कैलकेरिया में निम्न मानसिक लक्षणों पर भी ध्यान देना आवश्यक हैं-
>> मानसिक ह्रास - रोगी समझता हैं कि उसका मानसिक ह्रास हो रहा हैं । वह सोचता है , कि वह पागलपन की तरफ बढ़ रहा हैं । वह मानने लगता है कि लोग भी उसके बारे में ऐसा ही सोचते हैं । लोग उसकी तरफ इसी सन्देह से देखते हैं और वह भी उनकी तरफ इसी संदेह से देखता हैं। वह सोचता हैं कि लोग इसके बारे उससे कह क्यो नही देते । यह विचार हर समय दिन - रात उसके मन में रहता हैं, और जिसके कारण वह सो नहीं पाता ।
>> छोटे - छोटे विचार आना - कैलकेरिया के रोगी के मन में छोटे - छोटे विचार आते रहते हैं । उसका मन छोटी - छोटी बातों से इतना जकड़ जाता हैं, कि उनसे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता हैं। उसका मानसिक स्तर बिगड़ चुका होता है । वह बुद्धि के स्थान पर मनोभाव से काम लेता है । बहुत कोशिश करके अगर वह अपने मन को उन छोटे - छोटे विचारों से अलग कर सोने की कोशिश करता हैं, आंखें बंद करने की कोशिश करता हैं , लेकिन आंखें बंद नहीं हो पाती , वह एकदम उत्तेजित अवस्था में आ जाता हैं और ये विचार उसे इतना परेशान कर देते हैं कि वह सो नहीं पाता ।
>> दौड़ने और चिल्लाने की इच्छा - जिन लोगों का मस्तिष्क चिन्ता की अति तक पहुँच जाता हैं, जो गृहस्थी में किसी दुखद घटना से अत्यन्त पीड़ित होते हैं, उनका हृदय टूट जाता हैं । इस प्रकार की चिन्ता व्यापारिक भी हो सकती है । रोगी घर में आगे - पीछे चलता - फिरता हैं, उसे शान्ति नही मिलती । मन करता हैं कि खिडकी से कूदकर प्राण दे दे । यह एक प्रकार का हिस्टीरिया हैं, जिसे कैलकेरिया ठीक कर देता है ।
>> सब कामकाज छोड़कर बैठ जाना - कैलकेरिया का रोगी अपनी मानसिक दुर्बलता के कारण अपना सब काम धंधा छोड़ कर बैठ जाता हैं । कितना ही अच्छा व्यापार क्यों न हो, उसे अपने काम में रुचि नहीं होतहोना
" मासिक धर्म की अनियमितता "
मासिक धर्म की अनियमितता में तीन बातों को ध्यान में रखना होता हैं । जैसे- समय से पहले, अधिक खून, और ज्यादा दिनों तक होना । मासिक धर्म प्राय: हर तीसरे सप्ताह शुरू होती है, रुधिर की मात्रा बहुत अधिक होती है, और समाप्त होते हुए भी एक सप्ताह ले लेती हैं । परंतु मासिक धर्म में इन लक्षणों के साथ कैलकेरिया के अन्य लक्षण भी होना जरूरी हैं ।
" रोगी शीत प्रधान व आराम पसन्द "
कैलकेरिया का रोगी शीत प्रधान होता हैं । उसे ठंडी हवा पसंद नहीं आती । आंधी - तूफान , सर्दी का मौसम उसके रोग को बढ़ा देते हैं । वह शरीर को गर्म रखने के लिए कपड़े लपेट कर रखता हैं और दरवाजे - खिड़कियां बंद रखना चाहता हैं । ठंडा पन और कमजोरी उसका चरित्रगत लक्षण हैं । वह शीत प्रधान होने के साथ-साथ आराम पसंद होता हैं । देखने को वह मोटा ताजा, थुलथुला, फूला हुआ चेहरा होता हैं, परन्तु शारीरिक श्रम नहीं कर पाता है । अगर थोडा - सा भी परिश्रम करता हैं, तो सिर दर्द, बुखार हो जाता हैं । ज्यादा चलना-फिरना, मेहनत करना व बोझ उठाना रोगों को आमंत्रण देना हैं ।
" बच्चों के दाँत निकलते समय के रोग "
कैलकेरिया के लक्षणों में बच्चे की शिकायतों को नहीं भूला जा सकता । बच्चों के दांत निकलते समय अधिक कष्ट से गुजरता हैं । दांत निकलते समय वह दूध हज़म नही कर सकता और जमे हुए दही की तरह उल्टी कर देता हैं, जिसमें से खट्टी बदबू आती हैं । दांत निकलते समय बच्चों को दस्त होने लगते हैं, जो फटे हुए दूध की तरह होता हैं और उसमें भी खट्टी बदबू आती हैं । दांत निकलते समय बच्चों को खांसी की शिकायत भी होती हैं। इन तीनो शिकायतों में अगर बच्चे को सोते समय सिर पर पसीना आता हो, तो कैलकेरिया से ये रोग ठीक हो जाते हैं ।
" रोगी को कण्ठमाला की प्रकृति "
कैलकेरिया के रोगी की गर्दन के चारों ओर गिल्टियाँ फूली होती हैं । ये गिल्टियाँ शरीर के अन्य अंगों मे भी होती हैं । गिल्टियों पर इस औषधि का असर कारगर होता है । पेट की गिल्टियों सख्त होना टी ० बी ० का लक्षण हो सकता हैं । कभी - कभी इन गिल्टियों का आकार मुर्गी के अंडे जितना हो जाता हैं । किसी भी अंग में गिल्टियों के साथ कैलकेरिया के अन्य लक्षणों का होना आवश्यक हैं ।
कैलकेरिया कार्बोनिका औषधि के अन्य लक्षण-
>> कैंसर - यदि रोगी में कैलकेरिया के लक्षण हैं और वह कैंसर से पीड़ित हैं। यदि कैंसर का रोगी सवा साल जी सकता हैं, तो कैलकेरिया देने से वह पांच साल तक जी सकता हैं ।
>> गहरे घाव - यदि शरीर के किसी भी अंग में गहरा घाव हो और कैलकेरिया के लक्षण हो, तो वह घाव में पस पड़ जाने पर भी कैलकेरिया से ठीक हो जाएगा ।
>> अंडा खाने की इच्छा और दूध से अरुचि - कैलकेरिया में अंडा खाने की प्रबल इच्छा होती हैं, जबकि दूध पीने से नफरत करता हैं ।
>> बच्चे द्वारा स्तनपान करने पर मासिक धर्म होना - कैलकेरिया का एक विचित्र लक्षण यह है कि जब बच्चा मां का स्तनपान करने लगता है, तब मासिक धर्म जारी हो जाता है । थोड़ी सी मानसिक उत्तेजना में यह मासिक स्राव जारी होने लगता हैं ।
>> गठिया या वात रोग - ठंड लगने पर जोड़ों का दर्द बढ़ जाना इस औषधि लक्षण हैं । पांव ठंडे होते हैं, जैसे गीली जुराब पहनी हो । सोते समय पैरों पर अधिक गर्म कपड़ा डालना पड़ता हैं । जब पैर गर्म हो जाते हैं, तब उसमें जलन होने लगती हैं और रोगी उन्हें बिस्तर से बाहर निकाल देता हैं ।
" कैलकेरिया कार्बोनिका की शक्ति तथा प्रकृति "
कैलकेरिया कार्बोनिका अनेक रोग साधक और दीर्घकालिक औषधि हैं । यह 30 , 200 व अधिक शक्ति में उपलब्ध हैं । यह शीत प्रधान औषधि हैं ।
0 Comments:
Post a Comment