Saturday, July 30, 2022

त्रिवंग भस्म एक बाजीकरण योग और इसके फायदे और उपयोग


त्रिवंग भस्म क्या हैं - त्रिवंग भस्म रांगा, सीसा और जसद तीनों को अलग-अलग शुद्ध करके सम मात्रा में मिश्रित करके बनाई जाती हैं । 


" त्रिवंग भस्म बनाने की सम्पूर्ण विधि "


इस मिश्रण में पीसी हुई हल्दी डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता हैं । इससे गर्द पीले रंग की भस्म तैयार होती है । इसके बाद हल्दी के काढ़े और घीक्वार के रस में चौदह-चौदह बार भावना दी जाती हैं । और हर भावना के बाद तबतक अग्निपुट दी जाती हैं, जबतक भस्म निरुत्थ न हो जाए । अच्छी तरह बनी हुई त्रिवंगभस्म का रंग गर्द पीला होता है ।


" त्रिवंग भस्म के फायदे व उपयोग "


त्रिवंगभस्म शक्तिदायक औषधि हैं, जो नपुंसकता को दूर करती है और सिरागत वात विकारो को ठीक करती हैं ।


" त्रिवंग भस्म का मेह विकार में उपयोग "


मेह के विभिन्न प्रकार जैसे इक्षुमेह, हरिद्रामेह और लालामेह में त्रिवंगभस्म से अच्छे परिणाम मिलते हैं ।  बार-बार पेशाब करने की इच्छा और पेशाब की मात्रा बढ़ जाने जैसे विकारो में कुछ दिनों तक त्रिवंगभस्म का सेवन करने से अच्छा फायदा होता हैं । इसका असर मुख्यता पेशाब की उत्पत्ति पर होता है । मधुमेह में भी इससे कुछ हद तक फायदा मिलता हैं । 


" त्रिवंग भस्म उत्तम बाजीकरण योग "


त्रिवंगभस्म एक उत्तम बाजीकरण योग हैं, जो जननेंद्रिय को ताकत देती हैं, और नपुंसकता को दूर करती हैं । अतिवीर्यपात, बहुत अधिक स्त्रीसंग, बार-बार स्वप्नदोष होना, इन कारणों से जननेन्द्रिय शिथिल हो जाती है और नपुंसकता उत्पन्न होती है । इस विकार में त्रिवंगभस्म बहुत लाभदायक होती है ।


" वीर्य वृद्धि में त्रिवंगभस्म का उपयोग "


त्रिवंगभस्म से वीर्य की वृद्धि होती है और जननेंद्रिय की स्नायु की शिथिलता को नष्ट कर शक्ति प्रदान करती है । नपुंसकता न होने पर भी जिनको स्वप्नदोष होता है या बिना किसी कारण वीर्यस्त्राव होता हैं, तो भी त्रिवंगभस्म फायदेमंद होती है । 


" नपुंसकता में  त्रिवंगभस्म का उपयोग "


जननेंद्रिय में उत्तेजना तो ठीक रहती है, परंतु स्त्री के पास जाने से ही वह नष्ट हो जाती है, घबराहट और चिंता भी रहती है । इस प्रकार की नपुंसकता में त्रिवंगभस्म के सेवन से फायदा होता हैं ।


" त्रिवंगभस्म का बांझपन में उपयोग "


यदि गर्भाशय या योनिमार्ग में किसी रुकावट के कारण बांझपन उत्पन्न हुआ हो तो इस प्रकार के बांझपन को छोड़कर यदि अंडकोष की अशक्तता या संकुचन, फलवाहिनीयों की अशक्तता या संकुचन, इन इन्द्रियों का पूर्ण विकास न होने से बांझपन उत्पन्न हुआ हो तो त्रिवंग भस्म से फायदा होता हैं । 


" गर्भाशय व शारीरिक कमज़ोरी में त्रिवंगभस्म का उपयोग "


त्रिवंगभस्म के प्रयोग से स्त्रियों की आंतरिक इन्द्रियों को शक्ति मिलती है । बार-बार गर्भधारण से, या गर्भपात की आदत होने से स्त्रियों की आंतरिक इंद्रियों में अशक्तता आ जाती है, और इसी अशक्तता से बाह्य इन्द्रियों पर असर पड़ता है, जिससे शरीर में कमजोरी हो जाती है । 


कभी-कभी स्त्रियों को कम उम्र में ही स्त्रित्व प्राप्त हो जाता है ।  या कम उम्र में अधिक संभोग के कारण अंतरिन्द्रियों को धका लगता है । जिससे कमज़ोरी आती है और गर्भधारण नही होता या गर्भधारण हो जाए तो भी वह पूर्ण नही होता और गर्भपात हो जाता है । यदि पूरे दिन भी हो गए हो, तो भी बच्चा बिलकुल दुबला-पतला पैदा होता है । इन विकारो में  त्रिवंगभस्म उत्तम उपचार हैं ।


" सफेद पानी के विकार में त्रिवंगभस्म का उपयोग "


अत्यंत कामवासना या बार-बार संभोग के कारण स्त्रियों की जननेंद्रिय से सफेद और चिकना स्राव होने लगता है । यह स्त्राव कभी-कभी इतनी अधिक मात्रा में होता है कि उस स्त्री को बड़ी तकलीफ होती है । कभी-कभी यह स्राव केवल संभोग के विचार से ही या दूसरे जीवो के संभोग को देखकर या ऐसी बाते सुनकर या स्मरण मात्र से ही हो जाता है । यह स्त्राव त्रिवंगभस्म के सेवन से ठीक हो जाता है । 


" स्नायु व सिरागत वायु विकार में उपयोग "


स्नायु और सिरागत वायु विकार से वातवाहिनियों में दर्द उत्पन्न होता है । नसों में सकुंचन और पीड़ा होती है और वे स्पर्श में कठिन होती है । इनमें शक्ति कम होने के कारण व्यक्ति अपने हाथ-पैर नही उठा पाता और उसे बड़ी तकलीफ का सामना करना पड़ता है । नसों की अशक्तता और नसों का कार्य अधिक होने से हाथ-पैर टेढ़े हो जाते है और हाथ-पैरों मे कंपन्न भी होता है । इन विकारो में भी त्रिवंगभस्म से उत्तम लाभ मिलता हैं ।

0 Comments:

Post a Comment

Copyright (c) 2022 HomeoHerbal All Right Reserved

Copyright © 2014 HomeoHerbal | All Rights Reserved. Design By Blogger Templates | Free Blogger Templates.