Wednesday, July 6, 2022

पुष्पकासीस भस्म के उपयोग, गुणधर्म, दोष और भस्म बनाने की विधि


" पुष्पकासीस भस्म के उपयोग और भस्म बनाने की विधि "


कासीस के प्रकार- पुष्पकासीस दो प्रकार की होती है वालुका कासीस और पुष्पकासीस । भस्म बनाने के लिए पुष्पकासीस उत्तम मानी जाती हैं ।


" पुष्पकासीस शुद्धिकरण विधि "


पुष्पकासीस दो प्रकार से शुद्ध की जाती हैं - 

पहली - भंगरा के रस में भिगोकर कासीस शुद्ध की जाती है 

दूसरी - पित्त या आर्तव में भिगोकर भी कासीस को शुद्ध किया जाता हैं।

 " पुष्पकासीस भस्म बनाने की विधि "


प्रथम विधि - क्षार में पुष्पकासीस का मारण करके सात भावना दी जाती हैं । हर भावना के बाद एक पुट देने से पुष्पकासीस भस्म बन जाती है ।

द्वितीय विधि - गंधक से भी पुष्पकासीस का मारण करके भस्म तैयार की जा सकती है ।

" पुष्पकासीस का नेत्र विकारों में उपयोग "


पुष्पकासीस भस्म उष्ण, कषाय रसात्मक, अम्ल और नेत्र विकारों में उपयोगी औषधि है । इस भस्म के कषाय रस गुणों का अधिक प्रयोग होता है । यह आँखों के विकार जैसे - अभिष्यंद पूयाभिष्यंद, नेत्रवर्ण और नेत्रकनीनीवर्ण इत्यादि विकारों में उत्तम लाभप्रद होती है । 


पुष्पकासीस भस्म और शतधौतघृत मिलाकर अच्छी तरह खरल करने से उत्कृष्ट नयनांञ्जन बन जाता हैं । इसमें जो कषायरस होता है उसका रक्तप्रसादक कार्य जल्द परिणाम देता है । नेत्र विकारों में इसी रक्तप्रसादक गुण से लाभ मिलता है । 


" पुष्पकासीस भस्म का मंदाग्नी विकार में उपयोग "


कासीसभस्म आमका संशोषण कर मंदाग्नी ( बदहज्मी ) को दूर करती है, और पाचक अग्नि को बढ़ाती है । रसायनविधि से कासीसभस्म का घी और शहद के साथ उपयोग करने से उच्चतम लाभ होता है । 


पचनेन्द्रिय में या उसके आसपास के हिस्सो में रक्तधातु विकार हुआ हो या इंद्रियों में रक्त कम पहुंच रहा हो तो इससे बदहज्मी हो सकती है । रक्त की कमी भी बदहज्मी का कारण होता है । रक्त पित्तधातु का आधार और आश्रय होता है । रक्त की कमी होने से पित्तधातु से पाचक पित्त कम मात्रा में बनता है । कासीसभस्म रक्त की कमी को दूर कर देती है । 


कासीसभस्म अग्नि को प्रज्वलित करने का काम करती है । जब अन्नरस में पाचन करने की शक्ति कम हो जाती हैं , तब कासीसभस्म पचनेन्द्रियों को उत्तेजित कर पाचकरस को पहले जैसे स्थापित करती है । 


" पुष्पकासीस भस्म का अजीर्ण विकार में उपयोग "


कासीसभस्म आम को नष्ट करती है, इसलिए आमजन्य अजीर्ण या पुराना अजीर्ण या उससे उत्पन्न होने वाले दूसरे विकारों मे कासीसभस्म से लाभ मिलता है । 


बार-बार अजीर्ण होने के कारण उत्पन्न पांडुरोग की प्रथम अवस्था में पुष्पकासीस भस्म लाभप्रद होती हैं ।


" पुष्पकासीस भस्म का बाल विकारों में उपयोग "


जवानी में ही सिर से बाल खत्म होना, कम उम्र में बालों का सफेद होना और बुढ़ापा महसूस करना इन समस्याओ का उपचार कासीसभस्म करती हैं । इन विकारों में कासीसभस्म के साथ कांतलोहभस्म, त्रिफलाचूर्ण, शहद और घी, भिन्न-भिन्न अवस्था में भिन्न-भिन्न मात्रा में प्रयोग करने से ये विकार दूर हो जाते हैं ।


" गृहणी विकार में पुष्पकासीस भस्म का उपयोग "


गृहणी विकार में जो सेन्द्रिय विषार उत्पन्न होते है । इन सेन्द्रिय विषारों में जलन के साथ पेट फूलना, वायु का निस्सरण न होना, वायु के संचय से पेट में आवाज आना इत्यादि लक्षण हो तो कासीसभस्म अधिक अच्छा काम करती हैं ।


 " फोड़े-फुंसी में पुष्पकासीस भस्म का उपयोग "


रक्त और मांस धातु जब दूषित हो जाते हैं, तो पित्त दोष बढ़ जाता है, तो पुष्पकासीस भस्म का सेवन करना चाहिए । यह एंटीबायोटिक का काम करती हैं । विशेषकर तब अच्छा काम करती जब फोड़े में जलन हो, फोड़े के किनारो पर छोटी फुंसिया जो बिलकुल लाल हो और स्राव के साथ खून निकलता हो तो बाहर लगाने की दवा के साथ कासीसभस्म सेवन करना चाहिए । 


" पुष्पकासीस भस्म के फायदे,  गुणधर्म और दोष "


कासीसभस्म का मुख्य गुण रक्त के रक्तपरमाणुओं का निर्माण करना हैं । इसके दोष वात और कफ हैं ।


" पुष्पकासीस भस्म के दुष्प्रभाव "


कासीस भस्म से कभी कभी जी मिचलाना और उल्टी की शिकायत हो सकती है ।


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