चायना ( CHINA OR CINCHONA ) के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग तथा फायदे विस्तार से जाने -
- रक्तस्राव, प्रदर, अति वीर्यपात आदि से उत्पन्न दुर्बलता
- सविराम ज्वर ( मलेरिया ) में फायदेमंद
- पूरे पेट में वायु भर जाना, डकार से आराम न मिलना
- स्पर्श सहन न कर पाना, परन्तु जोर से दबाने पर सहन कर पाना
- किसी विचार से छुटकारा न पाना
होम्योपैथिक का जन्म चायना के अविष्कार से हुआ हैं। डॉ. हनीमेन ने सबसे पहले सिनकोना की छाल का प्रयोग सविराम ज्वर से सम्बन्ध जानने के लिए किया था। इस प्रयोग से उनकी आँखो के सामने उप काल का प्रकाश हुआ जिसका तेज उत्तरोत्तर बढ़ता गया और एक नवीन चिकित्सा प्रणाली का जन्म हुआ । इस प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया कि औषधि स्वस्थ व्यक्ति के ऊपर रोग के जो लक्षण उत्पन्न करती है , रोग में उन्ही लक्षणों के प्रकट होने पर वह औषधि उन लक्षणों को समाप्त कर उस रोग को ठीक कर देती हैं ।
" चायना की प्रकृति "
रोगी को जोर से दबाने व गर्मी से आराम अनुभव होता है। जबकि किसी रस के स्राव से, रक्त तथा रस के क्षय से, दूध व फलों से रोग में वृद्धि होती हैं।
" रक्तस्राव, प्रदर, अति वीर्यपात आदि से उत्पन्न दुर्बलता "
जब शरीर से रक्तस्राव अधिक हो गया हो और प्राणद स्रावों का बहाव हुआ हो , वीर्य स्राव से दुर्बलता आई हो , ऐसी दुर्बलता को चायना दूर कर देती हैं । इस प्रकार की दुर्बलता में इसे ' Pick me up ' कहा जाता हैं । इन्फ्लुएन्जा से बिमार हो जाने के बाद जब बेहद कमज़ोरी आ जाती है , वह सर्दी सहन नहीं कर पाता , सोचता है कि अब शायद ठंडे कपडे पहनने के दिन ही नही आयेंगे , गर्म कपडो से ही काम चलाना पडेगा , तब चायना 200 की एक मात्रा ठीक कर देती हैं ।
>> रक्तस्राव से होनेवाली दुर्बलता - जिस रोगी को रक्तस्राव अधिक हुआ हो । यह रक्तस्राव कैसा भी हो सकता है । किसी भी अंग से हो सकता हैं । जरायु से रक्तस्राव के साथ ऐंठन भी हो जाती हैं । ऐसी स्थितीं मे सिनकोना ( चायना ) रक्तस्राव को रोकने के साथ साथ उससे होनेवाली कमज़ोरी को भी दूर करदेती हैं । प्रदर से होने वाली दुर्बलता को भी सिनकोना ( चायना ) दूर कर देती है ।
>> अतिसार से होनेवाली दुर्बलता - चायना के अतिसार में दर्द नहीं होता और इसका अतिसार पनीला होता है । भोजन नही पचता और मल में बिना पचा ही निकल जाता हैं ।
>> अति वीर्यपात से होनेवाली दुर्बलता - शरीर की जो भी प्राणप्रद ग्रन्थिया हैं उनसे स्राव से होनेवाली कमजोरी को चायना दूर कर देती हैं । वीर्य जो जीवन का सार है, इसके अधिक स्त्राव से जो कमजोरी होती है उसका इलाज चायना कर देती है । हस्तमैथुन आदि कुकर्मों से होनेवाली कमजोरी को यह दूर करती हैं ।
" सविराम ज्वर "
चायना सविराम ज्वर में अच्छा काम करती है , लेकिन हर प्रकार के सविराम ज्वर में नही करती । चायना के ज्वर में प्यास के लक्षण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाता हैं। रोगी को सर्दी लगने से बहुत पहले प्यास लगती हैं , और जैसे ही सर्दी लगती है और प्यास खत्म हो जाती हैं । चायना का प्रत्येक ज्वर दो से तीन घंटे पहले आता है , रात को बुखार नही आता हैं ।
" पूरे पेट में गैस भर जाना, डकार से आराम न होना "
रोगी का पेट तना रहता है , लगातार डकार आने पर भी आराम नही मिलता , पेट भरा - भरा महसूस होता हैं । जब पेट में वायु अटक व अवरुद्ध हो जाए तब चायना 200 की एक खुराक वायु को निकाल देती हैं ।
" स्पर्श सहन न कर पाना "
सारा स्नायु मंडल अत्यन्त नाजुक हो जाता हैं । पीङा के स्थान को छूते ही रोगी कराह उठता है और छूने नही देता हैं । यदि फोड़े को हल्के - हल्के दबाया जाए , तो रोगी दबाव सहन करने लगता हैं । यदि जोर से दबाव दिया जाए तो रोगी उस दबाव को सह लेता हैं , उसे कुछ आराम मिलता है । दांत दर्द में उसे दबाने से आराम मिलता हैं । दबाने पर आराम मिलना इस औषधि का विशिष्ट लक्षण हैं ।
स्नायु मंडल की नाजुकता बालो पर भी प्रकट होती है । बालो में हवा से भी दर्द महसूस होता है । नसों को दबाने से दर्द में आराम हो , तो सिनकोना ( चायना ) अधिक उपयोगी हैं । ऐसे दर्द जो स्पर्श से जाग्रत हो जायें , और बढ़ते चले जाए और तीव्र रूप धारण कर लें , तो चायना उसे ठीक कर देती हैं ।
" किसी विचार से छुटकारा न पाना "
इसके रोगी के दिमाग में विचार ऐसे जम जाते हैं कि वह उनसे छुटकारा नही पा पाता । वह समझता है कि उसके शत्रु उसके पीछे पड़े हैं । वह कही भी जाता है , कुछ भी करता है , तो उसे लगता है कि शत्रु उसके कार्य में बाधा डाल रहे हैं । इन काल्पनिक शत्रुओं से छुट कारा पाने के लिए चायना उचित दवा हैं ।
" सिनकोना ( चायना ) के अन्य लक्षण "
>> सामयिकता - यदि ज्वर हर दूसरे तीसरे दिन आता है , तो चायना का प्रयोग करना चाहिए । सामयिकता भी इसका विशेष लक्षण हैं ।
>> जिगर का पुराना रोग - जिगर के पुराने रोग में यह उत्तम दवा हैं । पेट के दाई तरफ के निचले हिस्से में दर्द होता हैं , कभी - कभी पसलियो के निचले हिस्से में स्पर्श द्वेषी जिगर हो जाता हैं । रोगी की त्वचा पीली पङ जाती हैं । मल का रंग सफेद होता है क्योकि जिगर पित्त का प्रवाह पूरी तरह नही कर पाता ।
>> कीडो की उल्टी के सपने - अगर रोगी को बार - बार ऐसे सपने आए कि उल्टी में जीवित कृमि निकल रहे हैं तो यह इसका विशिष्ट लक्षण है ।
" चायना की प्रकृति "
कमजोरी में चायना तबतक इस्तेमाल करे जबतक कमजोरी के लक्षण दूर न हो जाए । यह शीत प्रधान दवा हैं।
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