- नियत समय पर रोग का प्रकट होना
- रोग प्रकट होने में सिड्रन व अरेनिया की तुलना
- एक दिन छोड़कर 11 बजे सिरदर्द होना
- संभोग के बाद तांडव या स्नायु शूल का आक्रमण
- मासिक धर्म के पाँच दिन पूर्व प्रदर स्राव
" नियत समय पर रोग का प्रकट होना "
अगर कोई रोग घडी के अनुसार ठीक नियत समय पर प्रकट होता हैं और समय नहीं टालता तो वह सिड्रन का रोगी हैं, इसे सिड्रन से शान्त कर देती हैं । ऐसा रोग किसी भी प्रकार का स्नायु शूल हो सकता हैं।
जैसे - सविराम ज्वर , मृगी , मासिक स्राव तथा प्रदर से संबंध रखने वाले रोग हो सकते हैं , मलेरिया - ज्वर हो सकता है ।
" रोग प्रकट होने में सिड्रन व अरेनिया की तुलना "
इस प्रकार रोग का नियत समय पर प्रकट होना अरेनिया में भी होता हैं । परन्तु अरेनिया का प्रयोग गर्मी में ठीक रहता हैं और इसका रोग सर्दी या बरसात मे रोग प्रकट होता हैं । जबकि सिड्रन का रोग सभी ऋतुओं में प्रकट होता हैं । इसके अतिरिक्त अरेनिया में ज्वर तो ठीक घड़ी के समय पर आता हैं , परन्तु शीत की अधिकता होती हैं । उत्ताप नाम मात्र होता हैं , सिड्रन में शीत के बाद उत्ताप की भी तेज़ी होती हैं । सिड्रन का बुखार दलदल वाली नीची जगहों पर ज्यादा पाया जाता हैं। और रोगी गर्म पानी की ज्यादा मांग करता हैं ।
" एक दिन छोड़कर 11 बजे सिरदर्द होना "
एक दिन छोड़कर 11 बजे सिरदर्द होना सिड्रन का लक्षण हैं । खासकर यह सिरदर्द बाईं आंख के ऊपर की नसो में होता हैं ।
" संभोग के बाद तांडव या स्नायु शूल का आक्रमण "
स्त्री को संभोग के बाद अगर तांडव का आक्रमण होता हैं, तो इस औषधि से दूर हो जाता हैं । पुरुष को भी अगर संभोग के बाद स्नायु शूल होता हैं , तो भी यह औषधि अधिक लाभप्रद होती हैं ।
" मासिक धर्म के पाँच दिन पूर्व प्रदर स्राव "
स्त्रियों के संबंध में मासिक धर्म से पाँच छ: दिन पहले प्रदर स्राव का होना सिड्रन का लक्षण हैं ।
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