बैप्टीशिया ( BAPTISIA ) औषधि के व्यापक लक्षण, मुख्य रोग व फायदों का विस्तार पूर्वक वर्णन-
- टाइफॉयड़ के लक्षण ( ज्वर व कमजोरी )
- शरीर में कुचले जाने सा दर्द अनुभव
- टाइफॉयड़ में बैप्टीशिया और जेलसीमियम की तुलना
- रोगी अनुभव करता है कि अपने बिखरे हुए अंगों को बटोरना
- ठोस पदार्थ निगलने से गले में दर्द
" बैप्टीशिया की प्रकृति "
नमी, गर्मी, बंद कमरे में व सोने के बाद रोग के लक्षणों में वृद्धि होती हैं।
" टाइफॉयड़ के लक्षण ( ज्वर व कमजोरी ) "
यह टाइफॉयड़ की मुख्य औषधि मानी जाती है । रोग की प्रारंभिक अवस्था में घबराहट, सर्दी, सिर दर्द, पीठ दर्द और हाथ - पैरों में दर्द होता हैं । रोगी को ऐसा अनुभव होता है कि उसका पूरा शरीर टूट रहा हैं । ज्यो - ज्यो रोग व कमजोरी बढ़ती जाती हैं, रोगी ' तन्द्रा ' में पहुँच जाता हैं । अगर आप इस रोगी को जगा कर कुछ कहना चाहें, तो वह आप की ओर इस तरह देखता हैं, मानो शराब के नशे में हो और जवाब देते ही सो जाता हैं, पूरा जवाब देने से पहले ही सो जाता हैं। ये सभी लक्षण इन्फ्लुएन्जा, स्कार्लेट फीवर किसी में भी हो बैप्टीशिया ठीक कर देती हैं ।
" शरीर में कुचले जाने सा दर्द अनुभव "
रोगी जिस भी तरफ लेटता हैं, उसी तरफ कुचले जाने का सा दर्द अनुभव करता हैं । शरीर में कुचले जाने का लक्षण पाइरोजेन और आर्निका में भी होता हैं। शरीर के कुचले जाने के लक्षण के साथ यदि रक्त के दूषित होने की अवस्था हो तो पाइरोजेन उपयुक्त दवा हैं । टाइफॉयड़ में रसटॉक्स के लक्षण भी पाये जाते हैं, बैप्टीशिया की तरह रोगी बिस्तर पर करवटें बदलता हैं। इसके अतिरिक्त बैप्टीशिया के रोगी का मल अत्यन्त दुर्गन्धयुक्त होता हैं । बैप्टीशिया का डायरिया के लक्षण होते हैं, जो अत्यन्त दुर्गन्ध युक्त होता हैं । इन लक्षणों में बैप्टीशिया औषधि उपयुक्त मानी गई हैं।
" टाइफॉयड़ में बैप्टीशिया और जेलसीमियम तुलना "
टाइफॉयड़ की प्रारम्भिक अवस्था जेलसीमियम बहुत ही कारगर औषधि हैं । टाइफॉयड़ की प्रथम अवस्था में रोगी चुपचाप उंघाई में पड़ा रहता हैं, इस अवस्था में प्रचंड ज्वर नहीं होता और पतले दस्त नहीं होते । परन्तु प्रथमावस्था के बाद रोगी ' ऊंघाई ' से ' तन्द्रा ' में चला जाता हैं, तो ज्वर अधिक होने लगता हैं, पतले दस्त आने लगते हैं । तब बैप्टीशिया उपयुक्त औषधि हैं । वैसे टाइफॉयड़ की हर अवस्था में शुरु से अन्त तक बैप्टीशिया इसकी अवधि को कम कर देती हैं ।
" रोगी अनुभव करता है कि अपने बिखरे हुए अंगों को बटोरना "
रोगी बिस्तर में करवटें बदलता रहता हैं, और महसूस करता हैं कि उसका शरीर बिखरा पड़ा हैं, और वह उन्हें बटोर रहा हैं । यह भी इसका विशिष्ट लक्षण हैं । इन लक्षणों में बैप्टीशिया देने से रोगी ठीक हो जाता हैं।
" ठोस पदार्थ निगलने से गले में दर्द "
रोगी तरल पदार्थों को सरलता निगल लेता हैं, परन्तु ठोस पदार्थ को निगलने में तकलीफ होती हैं, गले में दर्द होता हैं । इग्नेशिया में इसका विपरित होता हैं, ठोस आसानी से निगल लेता हैं और तरल में तकलीफ होती हैं ।
" बैप्टीशिया की शक्ति तथा प्रकृति "
बैप्टीशिया और जेलसीमियम दोनों अल्पकालिक औषधियाँ हैं । यह औषधि ' गर्म ' प्रकृति की हैं ।
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